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संत निवृत्तीनाथांचे अभंग - सारासार धीर निर्गुण परतें...
संत निवृत्तीनाथांचे अभंग संत निवृत्तीनाथ हे संत ज्ञानेश्वर महाराजांचे थोरले बंधू होत.सर्वसामान्य जनतेला संस्कृत भाषेतील भगवद्गीता समजत नव्हती म्हणून निवृत्तीनाथांनी ज्ञानेश्वरांना प्राकृत(मराठी)भाषेत लिहीण्यास सांगितली, तीच "ज्ञानेश्वरी". The eldest, Nivrutti, joined the nath sect and became Nivruttinath. He also become the guru of Dnyaneshwar. He, at the age of fourteen, instructed Dnyaneshwar, who was twelve, to write a commentry on the Bhagavad Gita
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आरतें परतें
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बर्या गेल्यार परतें येता
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परतें
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परतें जावप
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परतें परतें
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contraclockwise
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counterclockwise
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anticlockwise
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prone
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prostrate
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again and again
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over and over
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over and over again
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time and again
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time and time again
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disorderly
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chaotic
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inverse
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opposite
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reverse
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चौहरा
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आराटेंपराटें
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व्हगडायिल्लें
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अप्रतिदेय रीण
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परतिल्लें
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संत निवृत्तीनाथांचे अभंग - धीराचे पैं धीर उदार ते पर...
संत निवृत्तीनाथ हे संत ज्ञानेश्वर महाराजांचे थोरले बंधू होत.सर्वसामान्य जनतेला संस्कृत भाषेतील भगवद्गीता समजत नव्हती म्हणून निवृत्तीनाथांनी ज्ञानेश्वरांना प्राकृत(मराठी)भाषेत लिहीण्यास सांगितली, तीच "ज्ञानेश्वरी". The eldest, Nivrutti, joined the nath sect and became Nivruttinath. He also become the guru of Dnyaneshwar. He, at the age of fourteen, instructed Dnyaneshwar, who was twelve, to write a commentry on the Bhagavad Gita
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संत चोखामेळा - न करीं सायासाचें काम । गा...
श्री संत नामदेवकाळातील श्री विठ्ठलाची अपरंपार उपासना करणारे संत चोखोबा एक अस्पृश्य होते.
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संत वंका - पहा हो नवल गोरियाचे घरी ।...
संत वंकाच्या अभंगातून विठ्ठलाची भक्ती करून मोक्ष साधण्याचा मार्ग सापडतो.
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विठाचे अभंग - जननी बाळका कोपे रागें । प...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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संत तुकाराम - न वेंचतां मोल आम्ही झालों...
संत तुकाराम गाथेत समाविष्ट न केलेले अप्रसिद्ध अभंग.
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संत चोखामेळा - पंचही भूतांचा एकचि विटाळ ...
श्री संत नामदेवकाळातील श्री विठ्ठलाची अपरंपार उपासना करणारे संत चोखाबा एक अस्पृश्य होते.
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अरतापरता
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दुहरा
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दासोपंत ओंव्या
' अभंग ' म्हणजे संतकवींनी समाजजागृतीसाठी केलेल्या रसाळ रचना.
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नामसंकीर्तन माहात्म्य - अभंग ४ ते ६
सदर अभंग संत जनाबाइंना उद्देशून रचिले आहेत.
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पदसंग्रह - पंचक
रंगनाथ स्वामींचा जन्म शके १५३४ परिघाविसंवत्सर मार्गशीर्ष शुद्ध १० रोजीं झाला.
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उत्तरमेघ - श्लोक ९६ ते १००
महाकवी कालिदास यांच्या मेघदूत काव्याचे मराठी समवृत्त व समश्लोकी भाषांतर.
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सारकें
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अरतें
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चतुःश्लोकी भागवत - वैकुंठमहिमा
मराठी बहुजनसमाजांत श्रद्धा, भक्ति, प्रेम, समता आणि विश्वबंधुत्वाचें अतूट नाते निर्माण करणारे सत्पुरूष म्हणजे पैठणचे महाभागवत श्रीएकनाथमहाराज हेच होत.
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तत्वविवेक - श्लोक ३७ ते ४२
वामन नरहरी शेष उर्फ वामन पंडित (इ.स.१६३६ ते १६९५) हे १७ व्या शतकात होऊन गेलेले प्रख्यात मराठी कवी होते.
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स्वात्मसौख्य - ज्ञानकांड ओवी संग्रह ९
श्रीस्वात्मसौख्य ग्रंथात कर्म, उपासना आणि ज्ञान या त्रिकांडात्मक विज्ञानांतील मुख्य सर्व गोष्टी सूत्ररुपाने दाखविल्या आहेत
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उपदेश - वेषधार्यांस उपदेश १० ते १२
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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चिरोटा
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अरता
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अरती
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खंड २ - अध्याय २१
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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पंढरी माहात्म्य - अभंग ४५१ ते ४६०
श्रीसंतएकनाथ महाराजांची गाथा म्हणजे श्रीकृष्णाच्या अवताराचे मनोवेधक वर्णन.
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लक्षणे - ५१ ते ५५
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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